मूर्ख मानव

कहने के लिए इंसान साबसे बुद्ध जीवी प्राणी है,अगर देखा जाये तो इंसान बड़ा मूर्ख भी कोई नही है क्यों कि इंसान सब कुछ जानते हुये भी गलतियां करता है और जानवर तो जानवर होते ही है ।
जैसे कुछ अंधविश्वासी लोग है जो अपनी तरह के एक साधारण मनुष्य को भगवान मान बैठते है और उसको इतना ऊँचा दर्जा दे देते है कि वह सभी अच्छाइयों को भूल जाता है कि क्या नेक है क्या अनेक क्या उचित है क्या अनुचित वह सब कुछ भूल जाता है क्योंकि हम आप जैसे लोग उसके दरबार मे जा करके     उसके पाँव को छू करके उसके सामने गिड़गड़ा करके अपनी कमजोरी को दर्शाते हैं और वह हमारी इन्ही कमजोरी का फायदा उठता है जब कभी आप किसी ढोंगी बाबा के यह तो वह अपने आप को आप से दूर रखेगा क्योंकि कही आप उसके करतूतों को जान न जायें 
आज के बाबा को आप और आप कर परिवार की कोई परवाह नही होती है उन्हें तो केवल आप का चढ़ावा दिखाई पड़ता है कि आप क्या चढ़ा रहे हो,
हम सब ये जानते है कि बाबा कोई कही से बन के नही आता है वह केवल अपनी सम-विषम परिस्थियों के कारण बाबा बन जाता है। हमने तो आज तक जितने बाबा से मिले है तो उनके बाबा बनाने का कारण ही जानने की और पता करने कि कोशिश की है और देखा है बिना किसी कारण के बाबा बहुत कम मिले हैं 
क्यू आप के मन मे ये सवाल नही उठता है कि हम भी तो उसी परमात्मा की संतान है जिसके बाबा है,तो हम क्यूं उस बाबा के यहाँ अपनी कमजोरी का दुख का ढोल पीटे क्यों हम अपनी समस्याओं को बाबा को बताए क्या कोई बाबा किसी समस्या का निदान कर देता है, क्या कोई हमारे दुख को शुख में बदल देता है किसी रोग को जड़ से खत्म कर देता है अगर ऐसा होता तो क्या जरूरत होती डॉक्टर और अस्पताल की सब बाबा के पास ही जाते और शायद कोई मरता भी नही ।

जहां तक मेरा मानना है कि कोई किसी के बातो को मानता नही है क्यों कि इस कलयुगी मानव में छल, कपट, द्वेष,ईर्ष्या कूट-कूट के भारी हुई है सब के सब चोर है केवल यह नही जान पाते है कि हम खुद से चोरी कर रहे हैं


इसीलिए इस मृतलोक मे सबसे बड़ा मूर्ख मानव है।

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